लेखनी डायरी- विवाह की वर्षगाँठ
17/12/2021- विवाह की वर्षगाँठ
17 दिसम्बर का दिन मेरे लिए मेरी जिंदगी का सबसे खास दिन है। आज से नौ साल पहले यानि कि 17 दिसम्बर 2012 को मेरी शादी हुई थी। मैं दिल्ली से हूँ और मेरे पति महाराष्ट्रियन हैं। इसलिए हमारी शादी की रस्मों में दोनों तरफ की रस्में निभायी गयी थी।
मेरी सगाई और शादी दिल्ली में ही हुई थी। 16 दिसम्बर को सगाई हुई थी और शादी 17 दिसम्बर को। शादी दिल्ली में ही हुई थी। मेरे पति और उनके करीबी रिश्तेदार 15 दिसम्बर को दिल्ली आये थे।
मराठियों में शादी सुबह होती है और शादी के वक़्त दूल्हा-दुल्हन के बीच में एक कपड़े की ओट होती है। पंडितजी मंत्र पढ़ते हैं और फिर अंत में पंडित जी कहते हैं, "शुभ मंगल सावधान"। सभी लोग दूल्हा-दुल्हन पर चावल फैंकते हैं, इस रस्म को अक्षदा कहते हैं और यह मुख्य रस्म होती है महाराष्ट्रियन शादी में।
फेरे हमारे दिल्ली के रीति रिवाजों के अनुसार हुए थे। 18 दिसम्बर को हम दिल्ली से कोल्हापुर, यानि कि मेरे ससुराल, पतिदेव के गाँव के लिए रवाना हो गए थे। पहले दिल्ली से पुणे गए और फिर पुणे से कोल्हापुर। रात को हम लोग गाँव पहुँचे थे। मेरे स्वागत के लिए फूलों की रंगोली बनायी गई थी और दिए जलाए गये थे, जो दिवाली की याद दिला रहा था। बेहद खूबसूरत माहौल था।
ईश्वर की कृपा से मुझे बहुत ही अच्छे सास-ससुर मिले। ससुर तो नहीं है अब इस दुनिया में, सासु माँ हैं। सास को मैं आई बोलती हूँ, आई मतलब माँ। आई ने मेरा बहुत खयाल रखा और अभी भी रखती हैं। मुझे याद है एक दिन बापू ने यानि की ससुरजी ने आई को मज़ाक में कहा कि तू अपनी सून यानि की बहू का जरूरत से ज्यादा ख्याल रखती है, तो आई ने कहा....जैसे मेरी सास ने संभाला मुझे, वैसे ही मैं अपनी बहू को संभालूँगी। उनकी कही यह बात मेरे मन को छू गयी थी।
एक मुझे अपने पति पर भरोसा है और एक आई पर, दोनों से मैं बेझिझक, खुलकर बात कर सकती हूँ। आई से तो मैं मज़ाक भी करती हूँ, मज़ाक-मज़ाक में उनके गाल भी खिंचती हूँ।
दूसरे कल्चर में ढलना, शादी करना इतना आसान नहीं होता, रीति रिवाजों के साथ-साथ पूरी की पूरी सोच का भी फर्क होता है। शादी के इस सफर को आसान बनाने का श्रेय मेरे पति को तो जाता ही है लेकिन मेरी आई और गाँव के लोगों को भी जाता है जिन्होंने मुझे अपनापन दिया।
कुछ पंक्तियाँ मेरे और तुम्हारे नाम....
हमारा मिलना इत्तेफ़ाक नहीं,
हमें किस्मत ने मिलाया है।
कोई यूँ ही तो मीलों का सफर तय कर,
इतनी दूर तक नहीं आता।
कुछ तो होगा अलग मुझमें,
जो तुम्हें भाया होगा।
कुछ तो होगा तुम में अलग,
जिस पर मेरा दिल आया होगा।
क्या पता हो रिश्ता पिछले जन्म का,
वही खींचकर तुम्हें मेरे शहर तक लाया होगा।
आज लेखनी की डायरी प्रतियोगिता के कारण मैं यह खूबसूरत पल डायरी में सहेज पायी एक खूबसूरत याद के तौर पर। लेखनी को दिल से शुक्रिया🙏🙏
❤ सोनिया जाधव
# डायरी
Seema Priyadarshini sahay
04-Jan-2022 01:49 AM
बहुत खूबसूरत।विवाह के वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं
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Arpit Singh
30-Dec-2021 05:42 PM
Khubasurat yaden
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Gunjan Kamal
17-Dec-2021 10:28 AM
मन को भावों को बहुत सुंदर और सहज ढंग से पेश किया आपने । वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई आपको और आपके पतिदेव जी दोनों को । बहुत कम लोगों को ही ऐसा ससुराल नसीब होता है जिसमें सांस - ससुर अपने माता-पिता से बढ़कर हो । आपको ऐसा मिला इसके लिए आपको बहुत बहुत बधाई मैम । एक बार फिर से शादी की सालगिरह की बहुत-बहुत शुभकामनाएं 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🎂🎂🎂🎊🎊🍰🍰🍫🎉🎉
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